Friday, March 7, 2025

भारतीय शेयर बाजार में सुधार के संकेत, लेकिन वैश्विक चुनौतियां बरकरार



भारतीय शेयर बाजार एक बार फिर से अपनी रफ्तार पकड़ रहा है, हालांकि वैश्विक स्तर पर कई चुनौतियां मौजूद हैं। डॉलर के कमजोर होने, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और चीन के प्रोत्साहन पैकेज को लेकर उम्मीदों के बीच भारतीय शेयर बाजार में लगातार दूसरे दिन तेजी देखी गई। दिलचस्प बात यह है कि भारत जैसे उभरते बाजारों में निवेशकों का रुझान फिर से बढ़ रहा है। कई निवेशकों का मानना है कि ट्रम्प द्वारा लगाए गए टैरिफ से अमेरिका में मुद्रास्फीति बढ़ सकती है, जिससे उपभोक्ता खर्च में कमी आएगी और अमेरिकी अर्थव्यवस्था की विकास दर धीमी हो सकती है। अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था वाकई कमजोर होती है, तो फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है, जिससे डॉलर और कमजोर होगा और भारत जैसे उभरते बाजारों में निवेश बढ़ सकता है।

हालांकि, विदेशी निवेशकों के बहिर्वाह को रोकने के लिए पूंजीगत लाभ कर (कैपिटल गेन्स टैक्स) में कटौती की मांग को लेकर चर्चा अटक गई है। आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने इस विचार को खारिज करते हुए कहा कि बाजार में उतार-चढ़ाव का कराधान से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) के आंकड़े एक अलग कहानी बयां करते हैं। आंकड़ों के अनुसार, भारतीय बाजारों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की हिस्सेदारी 13 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई है।

ट्रम्प के टैरिफ और भारत पर प्रभाव
ट्रम्प का टैरिफ को लेकर सख्त रुख सिर्फ नीतिगत मामला नहीं है, बल्कि यह राजनीति और धारणा से भी जुड़ा हुआ है। एक विश्लेषण के मुताबिक, अमेरिका के गैर-तेल निर्यात का सिर्फ 0.4% हिस्सा ही 60% या उससे अधिक टैरिफ के दायरे में आता है, और भारत इस मामले में नौवें स्थान पर है। दक्षिण कोरिया, कनाडा और मैक्सिको जैसे देश अमेरिकी सामानों पर भारत से भी ज्यादा टैरिफ लगाते हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत के टैरिफ को विश्व व्यापार संगठन (WTO) के मानकों के अनुरूप बताया है और आश्वासन दिया है कि अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता के दौरान भारत के हितों की पूरी तरह से रक्षा की जाएगी।

हालांकि, टैरिफ युद्ध से भारत के दवा, कपड़ा और ऑटो पार्ट्स के निर्यात पर असर पड़ सकता है। क्रिसिल की चेतावनी के मुताबिक, यह भारत की आर्थिक स्थिरता के लिए भी चुनौती पैदा कर सकता है।

अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए दरों में कटौती की उम्मीद
भारतीय अर्थव्यवस्था में ठहराव के संकेत मिलने के बाद, अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि आरबीआई अप्रैल में एक बार फिर ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। हालांकि, आरबीआई ने हाल ही में तरलता को लेकर चिंताओं को दूर करने के लिए कदम उठाए हैं।

निवेशकों के लिए सलाह
अनिश्चितता के इस दौर में निवेशकों को क्या करना चाहिए? विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार के सही समय का इंतजार करना व्यर्थ हो सकता है। इसके बजाय, निवेशकों को विदेशी निधि प्रवाह, आर्थिक विकास और मुद्रास्फीति पर ध्यान देना चाहिए। कहा जा रहा है कि सबसे बुरा दौर अब पीछे छूट चुका है और भारत की घरेलू मांग से जुड़ी कहानी सही मूल्यांकन पर आकर्षक बनी हुई है।

नीतिगत अपडेट
कर्नाटक सरकार छत्तीसगढ़ की तर्ज पर एक कानून लाने की तैयारी में है, जिसमें जुए पर प्रतिबंध लगाया जाएगा, लेकिन कौशल आधारित गेम्स की अनुमति दी जाएगी।

टेस्ला के भारत प्रवेश पर चर्चा
टेस्ला के भारत में प्रवेश की तैयारियों के बीच, जेएसडब्ल्यू ग्रुप के चेयरमैन सज्जन जिंदल को विश्वास है कि टाटा मोटर्स और महिंद्रा जैसी स्थानीय ऑटोमोबाइल कंपनियां इस इलेक्ट्रिक वाहन दिग्गज का मुकाबला करने में सक्षम हैं। जिंदल का कहना है कि एलन मस्क महिंद्रा और टाटा जैसी कंपनियों के उत्पादों का मुकाबला नहीं कर सकते।

इस प्रकार, भारतीय अर्थव्यवस्था और बाजारों के लिए यह समय चुनौतियों और अवसरों से भरा हुआ है, और निवेशकों को सतर्कता और धैर्य के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है।

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